Don’t aim for success if you want it; just do what you love and believe in, and it will come naturally. यदि आप सफलता चाहते हैं तो इसे अपना लक्ष्य ना बनाइये, सिर्फ वो करिए जो करना आपको अच्छा लगता है और जिसमे आपको विश्वास है, और खुद-बखुद आपको सफलता मिलेगी. David Frost डेविड फ्रोस्ट

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देश में मौजूदा भू-माफियाओं के असली दलाल उनको सरंक्षण देने वाली प्रशासकीय व्यवस्था के जिम्मेदार अधिकारी ही है|

वह कमरा जिसमें दहेज़ का सामान जलाया गया

दबंग बाहुबली या असामाजिक तत्व हर उस मार्ग से रुपये उगाहने या रुपये कमाने में अग्रसर नज़र आते हैं जहाँ उन्हें बड़ी आसानी से व कम समय में अधिक से अधिक कमाई हो सके| यह हम सब जानते हैं कि कम से कम समय में ईमानदारी से तो कभी भी रुपया कमाया ही नहीं जा सकता उसके लिये गैर-कानूनी गतिविधियाँ या चोरी-डकैती ही एक मात्र विकल्प है| पूरे देश के लगभग हर क्षेत्र में ऐसे बाहुबली या अपराधी किस्म के महानुभाव हमें नज़र आ जायेंगे जिनका पूरा इतिहास क्षेत्र के थाना प्रभारी या थाने के हर सिपाही से लेकर अधिकारी तक सभी को पता रहता है और वे इन बाहुबलियों को सहयोग देते हुये उनकी हर गैर-कानूनी गतिविधियों से प्राप्त होने वाली कमाई के लाभांश में जिम्मेदार बने रहते हैं|

हमारे देश में भू-माफिया लगभग हर क्षेत्र में ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं जहाँ वे या तो सरकारी जमीन पर कब्जा कर उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट कर और पैसा लेकर गरीबों को दे देते हैं या गरीबों या परिस्थिती के मारे कमज़ोर दिखनेवाले परिवार की जगह को औने-पौने दामों पर बिकबाने या कब्जा करके हड़पने का काम करते हैं इसके लिये वे किसी भी हद तक गिर कर साम-दाम-दंड-भेद का उपयोग करते हैं और उस भूमि को हड़पने में मुख्य भूमिका  अदा करते हैं जिससे इन्हें भारी मुनाफा प्राप्त हो रहा है|

कभी-कभी जरूरत पड़ने पर यह भू-माफिया, दाऊद, छोटा राजन या क्षेत्रीय स्तर पर कत्लेआम मचानेवाले छोटे-छोटे गिरोह से भी अपना काम करवाने में नहीं हिचकते| ऐसा ही कुछ मामला नवीन शहादरा, दिल्ली – 110032 का आया है, जिसमें कुलदीप सिंह जी का परिवार पिछले कई वर्षों से शांती से रह रहा था मगर उनके शांत जीवन में यह भू-माफिया का दखल सक्रीय हो गया, यह प्रताड़ना का दौर तब शुरू हुआ जब 2007 में उनके नीचेवाले फ्लोर के मालिक ने अपना मकान क्षेत्र के भू-माफिया और प्रापर्टी डीलर को बेच दिया| उसके बाद से कुलदीप जी को अनेकों तरह से परेशान व प्रताड़ित किया जाने लगा और कहा गया कि “आप अपना मकान बेच कर चले जाओ नहीं तो परिणाम भुगतने को तैयार रहो” जिसका पहला वार इस परिवार पर उस समय हुआ जब कुलदीप सिंह जी का परिवार अपनी बेटी की सगाई में व्यस्त था और लॉयन्स भवन(विवेक विहार) में मौजूद था, तब उन्हें दिनांक 28.10.2007 रात 1.30 बजे खबर मिली कि उनके मकान में आग लग गई है| जिसकी वजह से उन्हें फौरन घर आना पड़ा वहाँ आकर उन्होंने देखा कि आगे के कमरे में तो Lights जल रही हैं मगर पीछे के कमरे में आग लगी हुई है जिसमें लड़की की शादी से संबंधित सारा दहेज का सामान व ज़ेवरात आदि रखे थे वह सब आग में जल कर स्वाहा हो गये थे|

अधिकांशतः कहीं भी दुर्घटनावश अगर आग लगती है तो उसका मुख्य कारण होता हैः बिजली के तारों का short होना, गैस खुली रह जाना या छोटे-मोटे दिये/मोमबत्ती की वजह से, मगर यहाँ यह देखा गया कि Lights जल रही थीं इसका मतलब आग लगने का कारण Short-Circuit तो नहीं हो सकता| चूँकि पूरा परिवार घर से बाहर दूर लॉयन्स भवन(विवेक विहार) में सगाई के समारोह में शामिल था| अतः यह भी निश्चित है कि आग गैस के कारण या किसी दिये/मोमबत्ती के कारण नहीं लगी होगी| पूरी घटना व परिस्थितीयों का विश्लेषण करने के बाद यह साफ नज़र आ रहा है कि आग लगने का कारण कोई बाहर से की गई पहल का नतीजा है और यह सर्वविदित है, कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी कारण किसी के भी घर में आग नहीं लगाता जैसे अगर कोई किसी की हत्या करता है तो सबसे पहले यह देखा जाता है कि हत्या का कारण क्या था? लूटपाट, चोरी, दुश्मनी, जलन या संपत्ति का विवाद उसके बाद अपराधी को चिन्हित करके उस पर शिकंजा कसा जाता है और उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा किये जाते हैं| ठीक वह स्थिती इस घर में हुई आगज़नी में दिखाई देती है जिसका पर्दाफाश न होने का मुख्य कारण हो सकता है कि जाँच अधिकारी अयोग्य हो, उस पर राजनैतिक दबाव हो या वह भ्रष्ट हो क्योंकि हम सब जानते हैं कि आज के तकनीकि युग में किसी भी दुर्घटना या आपराध का विवेचन करके बड़ी आसानी से फैसले पर पहुँच कर मुजरिम को पकड़ा जा सकता है, मगर आज छः वर्ष के बाद भी संभावित मुजरिम का नाम दर्ज करने के बावजूद घटना की वजह का कारण नहीं पता चल सका और न ही मुजरिम को पकड़ा गया है|

मुजरिम को सज़ा न मिलने की वजह से अपराधियों के हौसले इस कदर बुलन्द होते चले जा रहे हैं कि 25.10.2011 में कुलदीप सिंह जी की गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया जाता है| हो सकता है, कि यह पूरी घटनायें और उनका मुजरिम पीड़ित द्वारा चिन्हित किया गया संभावित मुजरिम न हो मगर आजतक घटना के मुजरिम को नहीं पकड़ा जाना जाँच अधिकारी की अयोग्यता को दर्शाता है| मगर हमारा संगठन या देश का कोई भी पढा-लिखा बच्चा भी अगर कुछ घटनाओं और परिस्थितियों पर नज़र डालें तो उस बच्चे को भी बड़ी आसानी से नज़र आ जायेगा कि इस पूरी घटनाओं का संभावित मुजरिम कौन हो सकता है जैसे कोई भी व्यक्ति अगर मकान खरीदता है तो उसे वह खुद के रहने पर या किराये के मकान पर चढाने के लिये ही खरीदेगा मगर जब से यह मकान(सन्‌ 2007) में खरीदा गया है तब से इस मकान में कोई भी रहने नहीं आया बल्कि इस मकान की हालत इस कदर बेहाल की जा रही है कि अगर कोई यहाँ आकर रहना भी चाहे तो वह यहाँ रह भी न सके बल्कि यहाँ तो ऐसा साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि इस मकान को किसी तरह गिरा दिया जाये और उसके लिये हर वह कार्य किया जा रहा है जैसे Supporting दीवार को तोड़ना, प्लस्तर निकालना, मकान के अन्दर कचरे का ढेर लगाना, पानी निकासी की जगहों पर कचरा जमा करना जिससे पानी मकान में ही इकट्ठा होकर मकान की नींव की दीवारों में पहुँच कर मकान को कमजोर कर सके यह पूरा खेल पिछले छः वर्षों से लगातार जारी है जिसपर अगर हम नज़र डालें तो यह पूरा खेल बिना पुलिस व प्रशासकीय व्यवस्था के साथ मिलकर नहीं खेला जा सकता|

इन पूरी घटनाओं की वजह से कुलदीप सिंह जी व उनका परिवार आतंक के साये में पिछले छः वर्षों से रह रहा है कब उनके साथ कौन सी दुर्घटना हो जाये, कब किसकी मृत्यु हो जाये यह कहा नहीं जा सकता| हो सकता है कि यह पूरा परिवार मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाये और खुद को परिवार के साथ ही समाप्त कर ले और अगर ऐसा कुछ होता है तो इस पूरी दुर्घटना का दोषी क्षेत्र का थाना प्रभारी व वह जाँच अधिकारी ही होंगे जो इस मामले की जाँच कर रहे होंगे क्योंकि अपराधी तो अपनी आदत से बाज़ नहीं आने वाला मगर उनके ऊपर लगाम लगाने वाली पुलिस व्यवस्था अगर अपनी जिम्मेदारी मे लापरवाही बरतेगी तो यह तो होना ही है|

संबंधित मामला जो पूरी तरह खुली किताब के समान है, से संबंधित शिकायत-पत्र क्षेत्र के SHO, Chief Secretary, Ministry of Home Affairs, Commissioner of Police, National Human Rights Commission, Vigilance Bureau आदि में भेजा जा रहा है|

संगठन की पाठकों व सदस्यों से अपील है कि वे संबंधित अधिकारियों SHO Shahdra Sh. Kiran Pal Rana 87508-70724 और Commissioner of Police Sh. B.S. BassiMob. 98180-99001 को फोन व SMS करें|

SMS में लिखें:

Plz. visit “http://www.25092013Delhi.bvbja.com” officers aur bhu-mafias ki mili bhagat par lagam lagai jaye.

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पीड़ित श्री. कुलदीप सिंह जी Mob. 09891489788 को हिम्मत दिलाईये कि

“आपने जो अन्याय के विरूद्ध आवाज़ उठाई है, हम सब आपके साथ हैं इस अन्याय के विरूध न्याय की लड़ाई में”

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धन्यवाद

सोनिका शर्मा

मोब. 9920913897

भ्रष्टाचार विरूद्ध भारत जागृति अभियान

http://www.bvbja.com

http://www.index.bvbja.com/Month_Year.aspx

साथ में संलग्न दस्तावेज़

v                पीड़ित का शपथ-पत्र : Page 1,Page 2 & Page 3

v                घर में लगाई गई आग से हुये नुकसान के चित्र :
Page 1,Page 2,Page 3,Page 4,Page 5 & Page 6

v                कार में लगाई गई आग से हुये नुकसान के चित्र : Page 1

v                दिनांक 03.11.2007 थानाध्यक्ष को दिया गया शिकायत-पत्र : Page 1

v                दिनांक 09.05.2008 संबंधित पुलिस थानों में दिये गये शिकायत-पत्र :
Page 1 & Page 2

v                दिनांक 30.10.2011 थाना प्रभारी को दिया गया शिकायत-पत्र :Page 1

v                दिनांक 10.06.2013 थाना प्रभारी को दिया गया शिकायत-पत्र :
Page 1 & Page 2

v                दिनांक 30.06.2013 थाना प्रभारी को दिया गया शिकायत-पत्र :
Page 1 & Page 2

v                पीड़ित की F.I.R. :Page 1

CC :

1.SHO

2. Chief Secretary

3. Ministry of Home Affairs

4. Commissioner of Police

5. National Human Rights Commission

6. Central Vigilance Commission

संबंधित विभागों में भेजे गये पत्रों की रसीदें

नोट: 

i.     आग लगाने वालों का नाम है गंगेश्वर सोनी @ कालू कबाड़ी और हेमन्त कुमार @ काकू

ii.    जिसने ग्राऊंड फ्लोर खरीदा उसका मकान W-9, नवीन शाहदरा बिलकुल साथ वाला है दीवार से दीवार जुड़ी हुई है इसने जाल जो पीछे लगा हुआ था वहीं से कोई जलने वाली चीज फेंक कर आग लगाई थी|